Monday, June 1, 2020

दूरियाँ

क्या हुआ आज जो हम हैं यहा और तुम हो वहा,
क्या हुआ आज जो दूरियाँ हैं अपने दरमियाँ |

आहें जितनी भी भरी होगी तुमने रातों को जाग जाग कर,
वो सारी आती है नज़र हमको सितारो की चमक बनकर |

आज आधी रात को चाँद को तकना तो ज़रा,
पाओगे तुम के टिकी चाँद पे मेरी भी निगाहें हैं |

हम ना मिल पायें भी तो मिल के रहेंगी निगाहें वहा,
और सुनाएँगी एक दूजे को प्यार की दास्तान |

याद आती है मुझे कुछ सूनी सी रातों में,
दो नैनों से ज़ारी थी आसूओं की टपक |

एक यहाँ और एक वहा,
क्या हुआ आज जो हम हैं यहा और तुम हो वहा|

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